‘जीवन जहाँ इठला-इठलाकर लहराता है, वहाँ भला आनंद के स्त्रोतों की कमी हो सकती है? उद्दाम जीवन के ही वहाँ के अनंत संख्यक गाने प्रतीक हैं।‘ क्या तुम इस बात से सहमत हो? ‘बिदेसिया’ नामक लोकगीत से कोई कैसे आनंद प्राप्त कर सकता है और वे कौन लोग हो सकते हैं जो इसे गाते-सुनते हैं? इसके बारे में जानकारी प्राप्त करके कक्षा में सबको बताओ।

मैं इस बात से सहमत हूं कि लोकगीत गांवों की छवि के प्रतीक हैं। इसके साथ ही बिदेसिया नामक लोकगीत से भी आनंद प्राप्त किया जा सकता है। इसमें रसिक प्रेमी-प्रेमिकाओं की बात रहती है। यह करुण और विरह रस से ओतप्रोत रहता है। यह गीत सुनने वाले को आनंद की अनुभूति देता है। इन लोकगीतों को खासकर भोजपुरी भाषा वाले क्षेत्रों में गाया जाता है।


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